अक्षत गुप्ता : द हिडन हिंदू (हिंदी अनुवाद)(भाग 1)
अक्षत गुप्ता ‘द हिडन हिन्दू’ के लेखक जिन्होंने इस एक उपन्यास के माध्यम से अपना नाम हिंदी साहित्य से जोड़ लिया। ‘द हिडन हिंदू’ तीन पुस्तकों की श्रृंखला की पहली पुस्तक है जिस पर अक्षत जी कई वर्षों से काम कर रहे थे। उनका जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था और पालन-पोषण मध्यप्रदेश में हुआ पर वर्तमान में वह मुम्बई में रह रहे हैं। आज वे बॉलीवुड के एक स्थापित पटकथा लेखक, कवि और गीतकार हैं।
‘द हिडन हिन्दू’ एक ऐसा उपन्यास है जो खुद को किसी कालखण्ड में नही बंधने देता बल्कि सतयुग से लेकर सन 2041 तक की कहानी बताता है। पुरातन समय और आधुनिक तकनीक का ऐसा मिलन हमें फिल्मों तक में देखने को नहीं मिलता। इसकी शुरुआत बड़े ही रोचक ढंग से रहस्यों के साथ होती है जो आगे बढ़ने पर क्रमशः बढ़ती ही जाती है। और जैसा कि मैंने बताया यह पुस्तक पहली कड़ी है (हिंदी में) तो रोमांच और जिज्ञासा अंत तक बनी रहती है और पूरा पढ़ते ही दूसरी पुस्तक का इंतजार मुश्किल हो जाता है। कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं है। सरल भाषा के साथ युवाओं को अपनी ओर खींचने में बिलकुल कारगर है। इसमें भारतीय सनातन धर्म की मान्यताओं का वर्णन है। नई तकनीक का प्रयोग सराहनीय है।
यहाँ मैं अपने पाठकों के लिए इस उपन्यास का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रही हूँ जो आपकी रोचकता को बढ़ावा देगा और आप इस उपन्यास को पूरा जरूर पढ़ना चाहेंगे।
अजन्मे की स्मृति
कहानी शुरू होती है साल 2041 में एक कमरे से जहाँ मौजूद हैं पृथ्वी और मिसेज बत्रा। पृथ्वी जो खोज रहा है ओम शास्त्री को और मिसेज बत्रा यह जानकर हैरान हैं कि आज 20 साल का पृथ्वी 2020 की घटनाओं को कैसे देख सकता है।
ओम शास्त्री , जिसे साल 2020 में रॉस द्वीप पर लाया गया था । मिसेज बत्रा भी रॉस द्वीप में हुए उस घटनाक्रम को जानना चाहती हैं जिसने उनकी मृत्यु के समय को बदल दिया। पृथ्वी उन्हें बताता है कि वह द्वीप के उस सुविधा केंद्र में एक से अधिक रूपों में मौजूद था।
अज्ञात सफर
पृथ्वी बताना शुरू करता है उस दिन से जिस दिन ओम शास्त्री को पकड़कर भारत के एक सुनसान द्वीप पर बने सुविधा केंद्र जो उच्च तकनीकी निगरानी प्रणाली से लैस था, लाया गया है । यह अंडमान द्वीप समूह का सबसे सुंदर द्वीप है। आज रॉस द्वीप पर मौजूद ज्यादातर लोग अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त हैं। यहाँ हमारा परिचय वीरभद्र नाम के भारतीय सेना के पूर्व ब्रिगेडियर और उनके बॉस डॉ. श्रीनिवासन , फिर डॉ. बत्रा , अभिलाष व एक लड़की एल. एस. डी. यानी लीसा सैमुएल डी’कोस्टा से कराया जाता है। उस अघोरी को प्रयोगशाला लगने वाले कमरे के बीच रखी कुर्सी पर बांध दिया गया है। लड़की द्वारा उस आदमी के बारे में पूछे जाने पर अभिलाष बताता है कि वह एक अघोरी है। फिर अभिलाष, डॉ बत्रा व एक अन्य व्यक्ति अघोरियों के विषय में ज्ञात सभी जानकारियां देते हैं। साथ ही डॉ. बत्रा ओम के हाथ में एक सिरिंज इंजेक्ट कर देते हैं।
अनिर्णीत आरंभ
दरवाजा खुलता है और एक महिला प्रवेश करती हैं। उनका नाम डॉ. शाहिस्ता है जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं। सम्मोहन विद्या में निपुण होने के कारण आज उन्हें यहाँ ओम शास्त्री से जानकारियां निकलवाने के लिए लाया गया है। सम्मोहन शक्ति और नशीली दवाओं का प्रयोग करके ओम शास्त्री का सच जानने की कोशिश की जा रही है। उसे जैसे ही होश आता है वह सबसे पहले अपना नाम बताता है फिर डॉ. श्रीनिवासन को वहाँ देखकर उन्हें ‘ चिन्ना ‘ नाम से सम्बोधित करता है। उसे नार्को टेस्ट में प्रयोग होने वाली दवाइयां दी जा रही हैं साथ ही वह सम्मोहित है। इस स्थिति में उसके झूठ बोलने का सवाल ही नहीं है परंतु सभी उसके जवाबों से हैरान हैं। वह बताता है कि उसे अपना असली नाम याद नहीं है। उसे बन्दा बहादुर याद है जिसकी हत्या फ़र्रुख़सियर ने की थी। साथ ही उसे महाभारत काल का संजय याद है क्योंकि उस समय वह विदुर था। वह अपना एक अन्य नाम भी बताता है – सुषेण और विष्णुगुप्त भी।
ओम संस्कृत का एक श्लोक भी बोलता है।
असंबद्ध खुलासा
यह सब सुनकर डॉ. शाहिस्ता चिल्लाने लगती हैं। ओम शास्त्री भी अचानक जाग जाता है। शाहिस्ता व डॉ. बत्रा स्तब्ध हैं कि कोई भी आदमी इतनी दवाइयों की खुराक और सम्मोहन के बावजूद एक घन्टे के भीतर कैसे जाग सकता है? फिर भी वे उससे वह सभी जानकारियां चाहते हैं जो वो जानता है।
यहाँ हमारा परिचय परिमल नाम के व्यक्ति से होता है जिसने इतिहास में पी. एच. डी. की है।
अब ओम बताता है कि वह एक मिशन पर है, उसका काम है अपनी वस्तुओं को अपनी स्मृतियों एवं अपने लॉकर में छुपाए रखना और स्वयं छुपे रहना। इस सेशन के बाद सभी परेशान हो जाते हैं। जब सभी बाहर चले जाते हैं तब केवल वीरभद्र ओम शास्त्री के साथ अकेला है। ओम उससे कहता है कि बारिश होने वाली है पर वीरभद्र उसे पागल समझता है क्योंकि ये गर्मियों का मौसम है।
इतिहास से लिए गए नाम
अगले सेशन में शाहिस्ता ओम से विष्णु गुप्त के रूप में दी गई सलाह के बारे में पूछती है तब ओम संस्कृत के उसी श्लोक को दोहराता है जो उसने पहले बोला था। वह बताता है कि दुनिया से अपनी असली पहचान छुपाए रखने के लिए वह ओम शास्त्री बना और वह सुभाषचन्द्र बोस को ढूंढ रहा है क्योंकि वे महाभारत काल के अश्वत्थामा हैं साथ ही वह परशुराम की भी तलाश कर रहा है।
ओम बहुत से नामों का उल्लेख करता है जो उसने अपनी पहचान के लिए प्रयोग किए। यहाँ तक कि वह पंजाबी और तेलुगू भाषा में उन सवालों के जवाब भी देता है जो सीधे उससे पूछे ही नहीं गए। इसी बीच वीरभद्र हाँफता हुआ अंदर आता है और बताता है कि बारिश हो रही है। इस सेशन के बाद सभी बहुत ही ज्यादा हैरान व परेशान हैं। एल. एस. डी. ओम द्वारा बताए गए सभी नामों की खोजबीन करती है और ओम के बारे में बहुत सी बातें बताती है जिससे पता चलता है कि नाम भले ही अलग-अलग हों पर हर पहचान पत्र पर ओम की ही फोटो है। उसे केवल संजय , विदुर , विष्णुगुप्त और चन्द्रगुप्त के विषय में जानकारी नहीं मिलती। साथ ही वह सुभाषचन्द्र बोस से सम्बंधित मिली सारी जानकारी देती है जो उनकी मृत्यु के विभिन्न स्थानों और नामों के रहस्यों से जुड़ी हैं। सभी ये सब सुनकर हैरान व शांत हैं। अब परिमल ओम द्वारा बोले गए श्लोक का हिन्दी अनुवाद बताता है। डॉ. बत्रा कहते हैं कि हमें यह पता होना चाहिए कि हम यहाँ किस उद्देश्य से आये हैं? मैं डॉ. श्रीनिवासन के पास जा रहा हूँ। या तो मुझे जवाब पता हो या मैं इस जगह को छोड़कर चला जाऊँगा।
खुले सूत्र
एक बार फिर वीरभद्र और ओम कमरे में अकेले हैं। वीरभद्र ओम से पूछता है कि इस कक्ष में बैठे हुए तुमने मौसम में होने वाले बदलाव का पता कैसे लगा लिया ? तब ओम कहता है कि इसके लिए ध्यान केंद्रित करने और कुछ अनुभव और अभ्यास की आवश्यकता है।
डॉ. बत्रा, डॉ. श्रीनिवासन से कहते हैं कि अपने सवालों के जवाब लिए बिना वे सब अगला सेशन शुरू नहीं करेंगे। डॉ. श्रीनिवासन उनके सवालों का जवाब देने से मना कर देते हैं पर शाहिस्ता उन्हें मना लेती है और वे ओम शास्त्री के बारे में जो कुछ भी जानते हैं बताने को राजी हो जाते हैं। वे उन्हें बहुत सी तस्वीरें दिखाते हैं। उन सभी तस्वीरों में ओम शास्त्री विभिन्न रूपों और पहनावों में दिखाई दे रहा था। हर तस्वीर के नीचे जगह और साल भी लिखे थे जो 1874 से शुरू होकर वर्तमान समय तक थे। वे बताते हैं कि रिकार्ड्स के अनुसार जब वह एक जगह मर जाता है तो दूसरी किसी जगह पर जीवित हो जाता है। हर तस्वीर में लगभग 40 साल का दिखाई देता है। सभी को यहाँ इस आदमी के बारे में जानकारी निकालने के लिए लाया गया है। सभी एक गुप्त मिशन का हिस्सा है।
शाहिस्ता डॉ. श्रीनिवासन से ओम से बिना किसी दवाई या सम्मोहन के लाइ डिटेक्टर के साथ सीधे बात करने का सुझाव रखती है।
ओम शास्त्री के बारे में सारी बातें मालूम कर लेने पर डॉ. श्रीनिवासन को क्या फायदा होगा या डॉ. श्रीनिवासन भी किसी के हाथ की कठपुतली हैं ? अभी तो बहुत से रहस्य खुलने बाकी हैं। तो इस रहस्यमयी यात्रा के रॉकेट पर सवार होकर मेरे साथ चलिए भाग 2 में।
एक और बात जो मैं बताना चाहूंगी – जिस तरह कमरे में कम हवा होते हुए भी ओम ने बारिश के बारे में बताया वैसे ही वह अन्य कई बातों से अपनी आंतरिक शक्ति का परिचय समय-समय पर देता है जो बहुत रोमांचक अनुभव है। पूरा अनुभव लेना चाहते हैं तो यह उपन्यास पूरा जरूर पढ़ें।
चुनिंदा पंक्तियाँ :
# प्रत्येक स्क्रीन हाथ लगाते ही ऐसे बात करना शुरू कर देती है, जैसे उन्नत प्रजाति का हिस्सा हो। तापमान में और चारों ओर के वायुमंडलीय दबाव में बदलाव लाना जीवन को अकल्पनीय रूप से आसान बना रहा है। इन पहलुओं में यह जितना शानदार था, उससे भी अधिक यह सुरक्षा के लिहाज से प्रभावशाली था। धनुष की आकार के छत के हर एक कोने में गति संवेदक कैमरे लगाए गए थे। गुम्बद के अंदर कोई भी अकेला नहीं था। जो जहाँ भी जाता, वहाँ एक डिजिटल आँख साथ जाती।
# अघोरियों के लिए कुछ भी अशुद्ध, बुरा या घिनौना नहीं है। उनके अनुसार, यदि आप सबसे विकृत कार्य करते हुए भी ईश्वर पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं तो आप ईश्वर के साथ एकरूप हो जाते हैं।
# ” इक गल दस्सो मैनू, बन्दा बहादुर कौन सी ? ” डॉ. बत्रा ने पंजाबी में पूछा।
” पुत्तर, बन्दा सिंह बहादुर, श्री गुरु गोविंद सिंहजी दा जरनैल सी।” एक साथ दो आवाजों में बहुत आदर व सम्मान के साथ जवाब आया। एक आवाज़ बूढ़ी मां की थी। ……….. वे ओम को सभी। सवालों के जवाब , जो वे अपनी माँ से पंजाबी में पूछ रहे थे, देते देख चौंक उठे; क्योंकि ओम उनका जवाब अर्द्ध-मूर्छित अवस्था में ऐसे दे रहा था, जैसे वे सवाल उससे किए गए हों।
# तापमान 2 डिग्री नीचे गिर गया था, उसके बाद और 5 डिग्री। हवा 40 किलोमीटर प्रति घन्टे की रफ्तार से चलने लगी थी। मैं हवा में उमस महसूस कर सकता था और गीली मिट्टी की सुगंध भी। इसलिए मैंने अनुमान लगाया कि बारिश होगी।