द हिडन हिन्दू – पुस्तक समीक्षा
पुस्तक – द हिडन हिन्दू
लेखक – अक्षत गुप्ता
प्रकाशक – प्रभात प्रकाशन
द हिडन हिन्दू अक्षत गुप्ता जी द्वारा लिखित तीन किताबों की श्रृंखला है। इसमें अक्षत जी ने हिन्दू पौराणिक मान्यताओं एवम कथाओं के साथ नई तकनीक को मिलाकर एक ऐसी महागाथा तैयार की है जो पाठक को रोमांचक यात्रा पर ले जाती है। आप इस महागाथा में वर्णित चारों युगों, चारों वेदों, धन्वन्तरि, सुश्रुत, कैलाश पर्वत, सातों चिरन्जीवियों ( अश्वत्थामा, परशुराम, हनुमान जी, राजा बलि, विभीषण, कृपाचार्य, महर्षि वेदव्यास) और अघोरी जीवन के साथ ही अन्य बहुत से विवरणों से चकित हो सकते हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं यात्रा रोचक होती जाती है और रहस्य गहरा होता जाता है। रहस्यों की इस यात्रा में मानसरोवर, रूपकुंड, भीमकुण्ड, तेजो महालय(ताजमहल), कुलधारा, द्वारका, एलोरा की गुफाएं और अंत में पद्मनाभस्वामी मन्दिर तक ले जाना प्रशंसनीय है।
भाषा की बात करें तो अक्षत जी ने शुद्ध हिंदी का प्रयोग किया है परंतु इतने कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं है कि आम पाठक को समझ न आए। अक्षत जी की कल्पनाशीलता अकथनीय है। प्रत्येक घटनाक्रम का वर्णन इस तरह से किया है कि घटनाएँ सजीव होकर आँखों के सामने चलती दिखाई देती हैं।
अक्षत जी ने इस महागाथा में सात चिरन्जीवियों के साथ एक नए चिरंजीवी की कल्पना की है जिसका जीवन अच्छाई और बुराई के प्रतिरूप में ओम और नागेंद्र के नाम से चलता रहता है जहाँ ओम का साथ सात चिरंजीवी और निभीषा दे रहे हैं वहीं गुरु शुक्राचार्य के सानिध्य में नागेंद्र का साथ दे रहे हैं अपने पूर्वजों के कर्मों से बंधा परिमल और अपने पूर्वजन्म के शाप से बंधी एल.एस. डी.।
वैसे जब मैंने इस श्रृंखला की पहली पुस्तक पढ़ी तो दूसरी का इंतजार करने लगी। मेरी जिज्ञासा काफी बढ़ गई थी। पहली किताब मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई। फिर दूसरी किताब आई। उसे पढ़कर भी अच्छा लगा पर दिमाग और उलझ गया। तीसरी किताब पढ़ने के बाद सारे रहस्य तो उजागर हो गए पर वर्णन इतना लंबा हो गया कि कभी-कभी लगने लगता कि शायद थोड़ा कम होता तो अच्छा होता। अक्षत जी ने कहानी यहाँ खत्म नहीं की है बल्कि अगली किताब का कथानक आरम्भ कर दिया है।
अगर आपको भी धार्मिक कथाएँ रोमांचित करती हैं तो इस रहस्य और रोमांच से भरपूर किताबों को जरूर पढ़ें।