सीखने की शुरुआत: रिच डैड पुअर डैड | Dreaming Wheels
पुस्तक शुरू होती है इसकी सहलेखिका शेरॉन एल. लेक्टर से जो अपने जीवन के अनुभव साझा कर रही हैं। किस प्रकार उनके माता-पिता ने उनकी परवरिश की, उन्होंने क्या हासिल किया और साथ ही साथ अपने परिवार को भी आगे बढ़ाया पर जब वही परवरिश वो अपने बच्चों को दे रही थीं तब उन्होंने पाया कि उनके बच्चे उनसे सहमत नहीं हैं। तो ये चली आ रही योजना थी ‘स्कूल जाना, अच्छे ग्रेड हासिल करना और किसी अच्छी नौकरी की तलाश में जुट जाना ‘ पर अब उन्हें लगा कि बच्चों को शिक्षा की सही दिशा देने के लिए नए तरीक़े खोजने होंगे।
इसी खोज में वो एक दिन एक व्यवसायी और निवेशक से मिलतीं हैं जो कि इस पुस्तक के लेखक हैं ‘रॉबर्ट कियोसाकी’ और उनके शैक्षणिक उत्पाद कैशफ़्लो से जो हमें बताता है कि असल जिंदगी में लोग पैसे का खेल किस तरह खेलते हैं?
चूहा दौड़
रॉबर्ट बताते हैं कि अगर हम ज्यादातर लोगों की जिंदगी देखें तो हमें पता चलता है कि बच्चा पैदा होता है,स्कूल जाता है, उसके माता-पिता उसे अच्छे नंबर लाने के लिए प्रेरित करते हैं, अच्छे नंबर लेकर वह कॉलेज जाता है और उसी योजना के अनुसार चलता है जिस पर उसके माता-पिता चलते आ रहे थे।पहले नौकरी, फिर शादी, फिर बच्चे, फिर और अच्छी नौकरी और पदोन्नति की चाह(चूँकि ख़र्च बढ़ गया है) और उसके लिए कड़ी मेहनत साथ ही बच्चों की उम्र बढ़ने पर उनकी उच्चशिक्षा के लिए बचत की चिंता और खुद के रिटायरमेंट की भी। इस तरह 35 साल के दम्पति दौड़ में फंस कर रह जाते हैं।वे अपने कंपनी मालिकों के लिए दिन-रात काम करके पैसे कमाते हैं, सरकार को टैक्स देते हैं,कर्ज़ पर लिए गए बड़े घर,गाड़ी और क्रेडिट कार्ड के कर्ज़ को चुकाते हुए जिंदगी भर कड़ी मेहनत करते हैं और अपने बच्चों को भी यही सिखाते हैं। लेखक इसे ‘चूहा दौड़ कहते हैं।
“इस चूहा दौड़ से निकलने का एकमात्र तरीका है अकाउंट्स और इन्वेस्टमेंट में निपुणता।”
संकल्पना: रिच डैड पुअर डैड
लेखक बताते हैं कि उनके दो डैडी थे एक अमीर और दुसरे ग़रीब।अमीर डैडी पढ़े-लिखे और समझदार पर सचमुच अमीर नहीं थे।वे कहते थे कि”पैसे का मोह ही सभी बुराइयों की जड़ है ” जबकि गरीब डैडी आठवीं पास पर अपने पैसे के मामले में हमेशा सजग और उनका कहना था कि “पैसे की कमी ही सभी बुराइयों की जड़ है।” अमीर डैडी यह कहते रहे कि”मैं इसे नहीं ख़रीद सकता” इसके विपरीत गरीब डैडी ने उन्हें हमेशा यह सोचना सिखाया कि “मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ?”
असल मे अमीर डैडी लेखक के डैडी थे और गरीब डैडी उनके दोस्त माइक के डैडी थे जो कुछ सालों बाद हवाई के सबसे अमीर आदमी बने।
लेखक अपने स्कूल से ही अमीरों और गरीबों (मध्यवर्ग कहना ज़्यादा सही होगा) के बच्चों के पालन-पोषण के अंतर को समझने लगे थे और माइक के साथ मिलकर वे अमीर बनने के तरीके ढूंढने लगे थे। इसके लिए लेखक के डैडी तो कोई अच्छी सलाह नहीं दे पाए पर माइक के डैडी ने उन्हें अमीर बनने के सबक उनसे काम करवाकर, जीवंत उदाहरण देकर और सरल चित्रों के माध्यम से समझाये।
सबक:एक
“ग़रीब और मध्यमवर्गीय लोग पैसे के लिए काम करते हैं जबकि अमीरों के लिए पैसा काम करता है।”
लेखक माइक के डैडी को अमीर डैडी कहते थे। सबसे पहले उन्होंने नौ साल के उन बच्चों को यह सिखाया कि लोग नौकरी के पीछे भागते हैं और उसका असली कारण है पैसा न होने का डर इसलिये जरूरी है पैसे का डर दिमाग से निकलना जो हमें स्कूल में नहीं सिखाया जाता। स्कूल हमें सिर्फ पैसे के लिए काम करना सिखाते हैं, पैसे की ताक़त का इस्तेमाल करना नहीं।
सबक: दो
“पैसे की समझ क्यों सिखाई जानी चाहिए?”
लेखक के दिमाग में हमेशा यह विचार डाला गया कि अगर तुम अमीर बनना चाहते हो तो तुम्हारे पास पैसे की समझ होनी चाहिये।
अमीर बनने का इकलौता नियम है आपको संपत्ति और दायित्व का अंतर पता होना चाहिए और हमेशा संपत्ति ही खरीदनी चाहिए।
गरीब जितना कमाते हैं उसे खर्च कर देते हैं। मध्यवर्ग दायित्व खरीदते हैं जैसे लोन पर लिया हुआ बड़ा घर, कार , क्रेडिट कार्ड के कर्ज़ आदि और सोचते हैं कि संपत्ति खरीद रहे हैं जबकि असल में वे दायित्व जमा करते जाते हैं इसके विपरीत अमीर अपने पैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, नोट्स,रॉयल्टी आदि में काम पर लगाते हैं जिससे वो पैसे लगातार बढ़ते हुए उन्हें कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा कर देते हैं।
सबक: तीन
“अपने काम से काम रखो”
यहाँ लेखक ने मैकडोनाल्ड के मालिक रे कॉक का उदाहरण दिया है।लोग समझते हैं कि वे हैमबर्गर
का व्यवसाय करते हैं पर सब ये नहीं जानते कि उनका असली व्यवसाय रियल एस्टेट है।
आप अपनी नौकरी करते रहिए पर असली सम्पत्तियों को भी ख़रीदना शुरू कर दें पर ऐसी चीजों से बचें जिनकी कीमत एक बार घर लाने के बाद कम हो जाए।
सबक: चार
टैक्स का इतिहास और कॉर्पोरेशन की ताकत
मध्यमवर्गीय जो पैसा कमाते हैं उसे सरकार को टैक्स के रूप में वापस लौटा देते हैं और हमेशा कर्ज़ में डूबे रहते हैं पर अमीर कॉर्पोरेशन की ताकत का इस्तेमाल करते हैं।पहले अपने पैसे खुद पर ख़र्च कर टैक्स आखिर में भरते हैं।
आप पैसे तो कमा सकते हैं पर उसके साथ जो बड़ी ताकत आती है उसे बनाए रखने और कई गुना करने के लिए सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको कानून की समझ होनी चाहिये और यह पता होना चाहिये कि सिस्टम कैसे काम करता है।
चूहा दौड़ से निकलने के लिए लेखक ने वित्तीय ज्ञान जिसे वे फाइनेंसियल आई.क्यू. कहते हैं चार बड़े क्षेत्रों में ज्ञान से बनता है।
• अकाउंटिंग
• निवेश
• बाज़ार
• कानून
कानून का ज्ञान आपको कॉरपोरेशन से दिए जाने वाले टैक्स लाभ और सुरक्षा प्रदान करता है।
सबक :पाँच
अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं
अगर आपके पास फाइनेंसियल आई.क्यू. है तो आपके पास बहुत सारे मौके होंगे बस आपको उन्हें पहचानना है तब आप निवेश की एक छोटी सी रकम को बड़ी रकम में बदल सकते हैं।
निवेशक दो तरह के होते हैं-
• सुरक्षित और आसान खेल खेलने वाले निवेशक।
• प्रोफेशनल निवेशक जो निवेशों को बनाते हैं।
अगर आप मौके पहचान सकते हैं, पैसे जुटा सकते हैं और स्मार्ट लोगों को साथ लेकर चल सकते हैं तो आप दूसरी तरह के निवेशक बन सकते हैं साथ ही जोखिम लेना महत्वपूर्ण है पर इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है इसे मैनेज करना सीखना।
सबक : छः
सीखने के लिए काम करें – पैसे के लिए नहीं
आपको हमेशा सीखते रहना चाहिये। किसी एक विषय में विशेषज्ञता हासिल करने की बजाय आपको सभी चीजों के बारे में थोड़ा-थोड़ा मालूम होना चाहिये और सबसे महत्वपूर्ण है सेल्स और मार्केटिंग की समझ।
बाधाओं को पार करना
इस तरह अगर आप अमीर बन जाते हैं और अपनी संपत्ति वाले कॉलम का कैशफ़्लो हमेशा के लिए बनाए रखना चाहते हैं तो आपको इन पाँच कारणों से दूर रहना होगा:
• डर
• सनकीपन
• आलस्य
• बुरी आदतें
• ज़िद
शुरू करना
अमीर बनने के लिए लेखक ने जो कदम उठाए उससे उन्हें नीचे दी गई दस ताक़तों पर नियंत्रण मिला और वे हैं:
1. दमदार कारण-आप जो करना चाहते हैं उसके लिए हकीकत से बड़ा कारण होना चाहिए।
2. विकल्प चुनने की ताकत- यह आपके हाथ में है कि भविष्य में आप क्या बनना चाहते हैं।आपके पास आए पैसों को कहाँ ख़र्च करें।
3. साथ रहने की ताकत- अपने मित्र सावधानी से चुनिये और उनके अनुभवोंसे सीख लीजिये पर ग़रीब या डरे हुए लोगों की मत सुनिये।
4. जल्दी सीखने की ताकत-किसी फॉर्मूले के विशेषज्ञ बन जाएं और फिर एक नया फॉर्मूला सीख लें।
5. ख़ुद पर अनुशासन की ताकत- ख़ुद को सबसे पहले वेतन दें।
6. अच्छी सलाह की शक्ति- अपने ब्रोकर को अच्छा पैसा दें।
7. बिना कुछ दिए पाने की ताकत-इंडियन दाता बनें।
8. केंद्रित करने की शक्ति- संपत्ति से विलासिता की चीज़ें ख़रीदें।
9. मिथक की ताकत- खुद को प्रेरित करने के लिए आदर्श नायकों की तलाश करें।
10. देने की शक्ति- जब आपको किसी चीज़ की कमी या जरूरत हो तो पहले उस चीज़ को दे दें। बाद में वह कई गुना होकर आपके पास लौट आएगी चाहे वह पैसा हो , मुस्कुराहट हो या दोस्ती।
सारांश
इस तरह यह पुस्तक वित्तीय साक्षरता पर आधारित है जो हमें सिखाती है कि अपने पैसों का सही इस्तेमाल कैसे और कहाँ करना चाहिये, पैसों की समझ किस प्रकार विकसित की जा सकती है, जोखिम लेना क्यों महत्वपूर्ण है और इसे किस प्रकार मैनेज किया जाए, किन चीजों पर क़ाबू पाकर आप अमीर बने रह सकते हैं, शुरुआत करने के लिए आपको किन-किन क्षेत्रों में विशेषज्ञता की जरूरत है आदि।
नई चीजों को सीखने की तत्परता एक ऐसा गुण है जो आपको सफल बनाती है जरूरत है सही दिशा की जिसका चुनाव आपको करना है।
इस पुस्तक को पढ़ने से पहले तक मुझे ऐसा लगता था कि सभी लोग मेहनत करते हैं पर अमीर वही लोग बनते हैं जिनका भाग्य अच्छा होता है पर इसे पढ़ने के बाद मेरा नजरिया बदल गया है। आप अमीर बनते हैं अपनी समझ से, अपने फाइनेंसियल आई.क्यू. से, अपने ख़ुद के कारण, उद्देश्य और लक्ष्य तय करके।
चुनिंदा पंक्तियाँ:
अपनी किस्मत पर खुद अपना नियंत्रण होना या फिर अपनी किस्मत पर किसी दूसरे का नियंत्रण होना।
जिंदगी सबसे बढ़िया टीचर होती है। ज्यादातर वक़्त जिंदगी आपसे बातें नहीं करती। यह एक तरह से आपको धक्का देती है।
नौकरी दीर्घकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है।
मूर्ख और उसके पैसे से शानदार दावतें होती हैं।
सम्पत्ति वह होती है जो आपकी जेब में पैसे डालती है।
एक समझदार आदमी अपने से ज्यादा समझदार लोगों को काम पर रख सकता है।
अंतिम और दर्शनीय बात:
इस पुस्तक में लेखक ने अपनी हर बात को विभिन्न रेखाचित्रों और उदाहरणों के माध्यम से समझाया है जिससे रोचकता बनी रहती है और आप प्रेरित भी होते हैं।