अक्षत गुप्ता : द हिडन हिंदू (हिंदी अनुवाद)(भाग 2)|DREAMING WHEELS

अक्षत गुप्ता द हिडन हिंदू (हिंदी अनुवाद) (भाग 2)

अक्षत गुप्ता : द हिडन हिंदू (हिंदी अनुवाद)(भाग 2)|DREAMING WHEELS

इस भाग में हिन्दू पुराणों के अनुसार युगों का काल विभाजन , प्रत्येक युग की अलग विशेषता के साथ ही चाणक्य, बन्दा बहादुर सिंह, परशुराम और अश्वत्थामा का वर्णन पठनीय है।

  दिव्य युग

अगला सेशन शुरू करने से पहले सभी दूसरे कमरे में अब तक मिली जानकारी से कुछ निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहे हैं। परिमल कहता है कि सभी तस्वीरों को देखने के बाद दोहरे व्यक्तित्व या पुनर्जन्म की तो सम्भावना नहीं है। एल. एस. डी. इसे काल यात्रा कहती है पर अभिलाष उसकी आलोचना कर उसकी बात को अनसुना कर देता है।डॉ. बत्रा कहते हैं कि वे उसकी बात पर विश्वास करने को मजबूर हैं। डॉ. शाहिस्ता उनकी बात का खंडन करती है जिस पर डॉ. बत्रा उन्हें एल. एस. डी. के द्वारा खोजे गए दस्तावेजों को तार्किक रूप से सही ठहराने को कहते हैं।

अभिलाष बन्दा बहादुर सिंह और चाणक्य के अतीत के विषय में पूछता है। इस बार परिमल पूरे आत्मविश्वास के साथ चाणक्य के जन्म, कार्यों, मृत्यु से प्रचलित सभी कहानियाँ विस्तार से बताता है जिससे यह साबित होता है कि चाणक्य की मृत्यु भी अस्पष्ट है। इसी तरह डॉ. बत्रा भी बन्दा बहादुर सिंह से सम्बंधित सभी ज्ञात जानकारियां देते हैं। एल. एस. डी. कहती है कि पर इन दोनों के जीवनकाल के बीच बड़ा अंतर है। तब अभिलाष कहता है कि ओम कुछ हजार सालों की नहीं बल्कि विभिन्न युगों की बात कर रहा है। उसने संजय और विदुर के बारे में भी तो कहा है।

इसके बाद अभिलाष सभी को हिन्दू पुराणों के अनुसार समय का विभाजन समझाता है जिसमें चार युगों का वर्णन, भगवान विष्णु के अवतार, प्रत्येक युग के साथ घटता सदाचार शामिल है। साथ ही वह हनुमान चालीसा में वर्णित पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी ,एक वैदिक विशेषज्ञ सायण द्वारा प्रकाश की गति की खोज , ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण के वर्णन का उल्लेख भी करता है। पर डॉ. शाहिस्ता को इन सब बातों पर यकीन नहीं है, वह अब भी हर तथ्य को वैज्ञानिक आधार पर परखना चाहती है। तब अभिलाष रामायण एवम महाभारत काल में विमान के होने के भी प्रमाण प्रस्तुत करता है और उनसे ‘सुश्रुत संहिता’ के विषय में भी पूछता है। एल.एस. डी. नेट से खोजकर तुरंत ‘सुश्रुत संहिता’ के बारे में बताती है और अंत में डॉ. बत्रा भी प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा के कई प्रमाणों के मौजूद होने की पुष्टि करते हैं।

दूसरी ओर डॉ. श्रीनिवासन फोन पर किसी से ‘सर’ सम्बोधन में बातें कर रहे हैं। उन्हें देखकर लगता है जैसे वे आदेश ले रहे हैं। वे फोन पर सभी की सुरक्षा का आश्वासन देते हैं। अब अगला सेशन फिर शुरू होने वाला है।

अस्तित्व का प्रदर्शन

सभी ओम के रखे गए कमरे में आ चुके हैं।  डॉ. श्रीनिवासन ओम से कहते हैं कि हम तुम्हें किस नाम से बुलाएं ? तुम्हें सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा पर ना चाहते हुए भी तुमने हमें बहुत कुछ बता दिया है। बाकी भी उस तरह जान लें या तुम खुद अपनी मर्जी से बता दो।

ओम यह सुनकर परेशान हो गया। फिर डॉ. शाहिस्ता ओम को लाई डिटेक्टर मशीन के बारे में बताती है और पूछती है कि तुम्हें इससे कोई आपत्ति तो नहीं है? तब ओम कहता है कि क्या मेरे पास और कोई विकल्प है? फिर डॉ. श्रीनिवासन प्रयोगशाला से बाहर आते है और वीरभद्र से रिपोर्ट मांगते हैं। वह उन्हें बताता है कि हमारे आदमियों ने उन लॉकरों को जब्त कर लिया है। कल सुबह तक वह चीज आपके टेबल पर होगी।

प्रयोगशाला में एल.एस.डी. और डॉ. बत्रा तारों को ओम के शरीर से जोड़ने में लगे हैं। अभिलाष डॉ. शाहिस्ता की प्रश्नों की सूची बनाने में मदद कर रहा है। वह शाहिस्ता को ‘सुषेण’ नाम से शुरू करने को कहता है। साथ ही उन्हें सुषेण के बारे में भी बताता है।

डॉ. श्रीनिवासन के प्रयोगशाला में आते ही डॉ. बत्रा उन्हें कहते हैं कि वे तैयार हैं। फिर कमरे की सारी लाइटें बन्द कर दी जाती हैं, रोशनी केवल कम्प्यूटर की स्क्रीन से आ रही है।एल. एस. डी. के एंटर दबाते ही स्क्रीन पर छवियाँ आने-जाने लगीं। स्क्रीन पर दिन का समय, जगह, लोगों का पहनावा, मौसम सबकुछ दिखाई दे रहा था। ओम के विचार स्क्रीन पर साफ देखे जा सकते थे। डॉ. श्रीनिवासन की आवाज ओम के कानों में पड़ते ही गाँव का दृश्य दिखाई देता है जहाँ एक सरकारी स्कूल, कुछ बच्चे और कुछ अंग्रेज आदमी ईस्ट इंडिया कम्पनी के कपड़ों में दिखाई देते हैं, जिसे देखकर डॉ. श्रीनिवासन को झटका लगता है।

अब शाहिस्ता सेशन शुरू करती हैं। सबसे पहले वह सुषेण के बारे में पूछती हैं। ओम बताता है कि वह मैं था। उसके कहते ही स्क्रीन पर एक गाँव का दृश्य दिखाई देता है जिसमें उससे मेल खाता चेहरा भी है। साथ ही एक बेहोश आदमी और एक और आदमी जो उस बेहोश आदमी का हाथ पकड़कर रो रहा है। ओम बताता है कि वह दक्षिण भारत का एक गाँव है और मैं एक वैद्य था। मैंने कई जानें बचाई थीं जिनमें एक लक्ष्मण भी थे।

शाहिस्ता पूछती है कि ऐसा कैसे सम्भव है ? तुम आज भी कैसे जिंदा हो ? तब ओम कहता है कि मुझे थकान होती है पर मैं मरता नहीं हूँ। यह सुनकर डॉ. बत्रा गुस्से में चिल्लाने लगते हैं और कहते हैं कि यह एक मानसिक रोगी है और इसकी बकवास को माना नहीं जा सकता। यह सब उसकी कल्पनाएं हैं।

अब सेशन समाप्त कर दिया गया है। सुरक्षाकर्मी ओम को गुप्त स्थान पर ले जाते हैं। अब सभी दिन के बारे में चर्चा कर रहे हैं। डॉ. बत्रा, अभिलाष और परिमल से अपने विचार बताने के लिए कहते हैं। तब अभिलाष सभी को परशुराम और अश्वत्थामा के बारे में विस्तार से बताता है। उनके हर युग में प्रकट होने और जीवित रहने के प्रमाणों की भी कई कहानियां सुनाता है। इसके बाद सभी सोने चले जाते हैं।

रहस्यमयी पिटारा

उस रात आँधी चल रही थी। सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए थे। देर रात शाहिस्ता की नींद अचानक टूट जाती है। उन्हें बाहर किसी की परछाई और चलने की आहट महसूस होती है। वे बाहर जाकर देखने लगती हैं।  वहां कोई नहीं था। जब वे पीछे मुड़ीं तो एल.एस. डी. उनके पीछे खड़ी थी। उसे देखकर वे डर गईं। एल.एस. डी. ने कहा कि उसे अकेले डर लग रहा है और वह उनके कमरे में सोना चाहती है। शाहिस्ता हामी भर देती है और एल.एस. डी. उनके साथ सोने आ जाती है।

इसी बीच वीरभद्र अपने दो आदमियों के साथ बक्से लेने के लिए पोर्टब्लेयर जाता है। इस बक्से लाने की प्रक्रिया के दौरान कोई अज्ञात व्यक्ति लगातार उसका पीछा करता रहता है।

सुबह हो चुकी है। शाहिस्ता के पास आज के सेशन के समय का विवरण आ चुका है। नाश्ते के बाद शाहिस्ता और डॉ. बत्रा, डॉ. श्रीनिवासन के कमरे की ओर जा रहे हैं, जबकि बाकी सभी पूछताछ करने वाले कमरे की ओर। वीरभद्र भी दोनों बक्से लेकर डॉ. श्रीनिवासन के कमरे में आया है। वे दोनों बक्से ओम के लॉकर हैं। दोनों को खोला गया। सभी उसमें से निकले सामान को देखकर हैरान रह जाते हैं। उसमें अनेक भाषाओं में लिखे गए अभिलेख , एक पुरानी खरल, कुछ बड़ी व भारी अंगूठियां, पुराने सिक्के, पत्र साथ ही एक नक्शे के साथ रखे कुछ धातु के टुकड़े, पारे की बोतल और एक पुस्तक भी है।

डॉ. श्रीनिवासन पूछते हैं कि यह नक्शा किस प्रकार का है? तब शाहिस्ता इसके बारे में ओम से पूछने का सुझाव देती है पर डॉ. श्रीनिवासन यह कहकर मना कर देते हैं कि उसे अभी यह पता नहीं चलना चाहिए कि यह सब उनके पास है। वे शाहिस्ता को उससे पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची तैयार करने और एल.एस. डी. को बुलाने को कहते हैं। डॉ. बत्रा जल्दी से आकर अपने कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं। वे शाहिस्ता को समझाते हैं कि हमारे शरीर को ऊर्जा देने वाली कोशिका माइटोकॉन्ड्रिया है। यदि यह पुनर्नवा होने लगे तो मनुष्य लम्बे समय तक जी सकता है। वैज्ञानिकों ने खमीर की आयु बढ़ाने का तरीका निकाला है। यदि मनुष्य के डीएनए में भी बदलाव कर दिया जाए  तो मनुष्य की आयु भी बढ़ सकती है। डॉ. बत्रा अपनी बात साबित करने के लिए ओम के खून का नमूना चाहते हैं पर शाहिस्ता कहती है कि डॉ. श्रीनिवासन इसके लिए कभी नहीं मानेंगे।  इसी बीच डॉ. श्रीनिवासन एल.एस. डी. को 6 घण्टे में उस नक्शे की जगह को ढूंढने को कहते हैं।

अब तक जो कुछ मालूम हुआ है उस पर कोई विश्वास कर रहा है और कोई नहीं भी कर रहा। बहुत सी ऐसी चीजें भी मिल रही हैं जिसने हमारी जिज्ञासा को और बढ़ा दिया है। तो अब देखते हैं और कौन-कौन से रहस्यों से पर्दा उठता है , रहस्य सुलझेंगे या और उलझायेंगे ? जानने के लिए मेरे साथ पढ़िए भाग (3)

चुनिंदा पंक्तियाँ :

# ” सतयुग में संघर्ष दो लोकों के बीच था – देवलोक और असुर लोक। असुर लोक दुष्टता के कारण एक अलग ही लोक था।
त्रेता युग में लड़ाई राम और रावण के बीच थी। भगवान और राक्षस दो अलग राज्यों में राज्य करते थे, लेकिन एक ही लोक में पहुंच गए थे।
द्वापर युग में युद्ध पांडवो और कौरवों के बीच था। वह युग था, जिसमें अच्छाई व बुराई एक ही परिवार में थी और वहीं उसके बीच संघर्ष था। हर एक गुजरते युग के साथ बुराई नजदीक आती गई- पहले एक ही दुनिया में, फिर एक ही राज्य में और फिर एक ही परिवार में।
जानते हो, अब कलियुग में बुराई कहाँ है ? वह हमारे अंदर है। अच्छाई व बुराई दोनों हमारे अंदर ही रहते हैं। किसकी विजय होगी ? कौन दूसरे पर हावी होगा, हमारे भीतर की अच्छाई या बुराई ? “

# हाँ, अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे और परशुराम द्रोणाचार्य के गुरु। माना जाता है कि दोनों अलग-अलग युगों में थे , हजारों वर्षों के अंतर के साथ।

अगर आपने भाग 1 नहीं पढ़ा है तो आप उसे इस लिंक में क्लिक करके पढ़ सकते हैं👇

अक्षत गुप्ता : द हिडन हिंदू (हिंदी अनुवाद)(भाग 1) | DREAMING WHEELS

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