मन्नू भंडारी : मैं हार गई (भाग 2) मन्नू भंडारी ने अपनी कहानियों में स्त्रियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुए स्वतन्त्र अस्तित्व को पाने की छटपटाहट, उनके लिए निर्धारित आदर्शों से न निकल पाने की विडंबना है। स्त्री मन के अंतर्द्वंद्व को पन्नों में उतारना मन्नूजी की विशेषता है। […]