सत्य व्यास : दिल्ली दरबार  (भाग 3) | दिल्ली दरबार (उपन्यास)

सत्य व्यास : दिल्ली दरबार  (भाग 3)

सत्य व्यास : दिल्ली दरबार  (भाग 3)

इस भाग में सत्य व्यास जी ने राहुल और परिधि की नेगेटिव हिस्ट्री को पॉजिटिव केमेस्ट्री में रोचक ढंग से बदलते हुए दिखाया है।

        पिया ऐसो जिया में समाए गयो रे

आज मैं और राहुल उस छोटे से कमरे में शिफ़्ट हो रहे हैं जिसे दिल्ली में छत पर होने के कारण बरसाती कहते हैं। सामान सीढ़ियों से पहुँचाते हुए हम बहुत थक गए थे। देखा तो नल में पानी भी नहीं आ रहा था सो हम दोनों पहुँच गए बटुक जी के घर पर और दरवाजा खटखटा दिया।  अब सामने  परिधि खड़ी थी हाथों में ग़ालिब की शायरी की किताब लेकर। हमने कहा आज पानी दे दीजिए अब से हम सुबह ही पानी भर लिया करेंगे। परिधि ने फ्रीज से पानी की नई बोतल लाकर दी और पानी गर्म कर पीने की सलाह भी।  जब मैं परिधि की किताब देख रहा था राहुल परिधि को देख रहा था और वापसी पर उसने कहा कि इसका हर पार्ट ठीक है और ये गैरेज नहीं बल्कि मैरिज मटेरियल है।

सत्य व्यास : दिल्ली दरबार  (भाग 3)

अभी हम परिधि और ग़ालिब की शायरी की बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर खट-खट हुई। राहुल ने दरवाजा खोला। सामने परिधि एक लड़के के साथ खड़ी थी। उसने उस लड़के की तरफ इशारा करते हुए बताया कि यह छोटू है। इससे काम की बात कर लो। बाद में झगड़ा नहीं होना चाहिए। यह बताकर वह जवाब का इंतजार करने लगी पर राहुल ने कुछ नहीं कहा। वह परिधि को ऐसे देख रहा था जैसे उसकी आँखों में खो गया हो इसलिये मैंने ही जवाब दिया कि हम आठ सौ रुपये ही दे पाएंगे। फिर राहुल को होश आया। उसने कहा कि छोटू पहले खाना बनाकर तो दिखाए और उसे गाजर का हलवा  बनाने का कहकर किचन में भेज दिया। राहुल का अंदाज देख परिधि भी मुसकुराने लगी फिर पलटकर चली गई।

छोटू को हमारे काम करने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि वो यहाँ पहले भी काम कर चुका था। उस दिन वह किचन में था तभी परिधि की आवाज़ आई वह छोटू को छत पर बैडमिंटन खेलने बुला रही थी। छोटू ने तो काम की वजह से मना कर दिया पर राहुल छत पर आ गया। परिधि उसे कभी बिहारी तो कभी कुछ और कहकर छेड़ने लगी। कभी दोनों ने टीशर्ट को मैसेज पहुचाने का जरिया बनाया। शुरुआत तो ‘respect girls’ से हुई जो ‘let me in …..…..spect girls’ , ‘grow up boy’ और ‘LOLZ’ से होती हुई आख़िरकार ‘हंस मत पगली प्यार हो जाएगा’ तक पहुंच ही गई। पानी की बोतलों के साथ ही प्यार का भी आदान-प्रदान शुरू हो गया।

 भेद जिया के खोले ना

राहुल का टॉवर पकड़ रहा है इसका आभास मुझे उस दिन हुआ जब परिधि छत पर कपड़े सूखाने आई। उसने देखा कि राहुल नीचे टहल रहा है। थोड़ी देर तो उसने राहुल के ऊपर देखने का इंतजार किया पर जब उसने ऊपर नहीं देखा तो परिधि ने बटुक शर्मा की धुली शर्ट नीचे गिरा दी फिर आवाज देकर राहुल से शर्ट देने को कहा।

अब तो छत पर रोज ही कपड़े सुखाए जाने लगे, पौधों में पानी दिया जाने लगा और वो भी राहुल की मदद से। मुझे यह सोचकर अच्छा लग रहा था कि राहुल इसमें व्यस्त है तो और किसी खुराफात में ध्यान नहीं जाएगा पर ऐसा नहीं था। एक दिन उसने मुझसे पूछा कि यहाँ कितने दिनों तक रहना है तो मैंने कहा कि तुम्हारे जो कारनामे हैं उसके बाद तो जब तक मार के न निकाल दिए जाएं। कहीं जसप्रीत की तरह लड़की बदल गई तब क्या होगा पर राहुल ने कहा परिधि बाकी लड़कियों से अलग है इसे ढेर सारा  प्यार चाहिए। इस तरह परिधि के दुख-दर्द और थोड़ी ग़ालिब की शायरी की बखिया उधेड़ने  के बाद राहुल ने फिर से पूछा कि हमें यहाँ कब तक रहना है तो मैंने कहा कि मेरा सीडीएस या दो साल का एमबीए जो पहले पूरा हो जाये तब तक। इस पर राहुल ने कहा कि ठीक है तो दो महीने का किराया तू देगा , दो महीने का मैं दूंगा और बाकी आठ महीनों का बटुक देगा। यह सुनकर मैं चौंक गया। मैंने कहा कि ये खतरनाक आईडिया तुझे घर पर ही छोड़ देना चाहिए था पर आप तो राहुल को जानते ही हैं डर तो उसका बचपन में ही निकल गया था।

भेद जिया के खोले ना | dreaming wheels

बटुक के किराया देने की बात राहुल मजाक में नहीं कर रहा था। उसके दिमाग में क्या चल रहा है इसका पता मुझे उस दिन चला जब दूसरे महीने का किराया देने हम बटुक के घर पहुंचे।दरवाज़ा परिधि ने खोला और दूसरे कमरे के पर्दे के पीछे से हमें देखने लगी। बटुक के पीछे दीवार पर आईना लगा था जहाँ से हम परिधि को देख सकते थे। बटुक लैपटॉप पर काम कर रहा था। हमें देखकर उसने किराए का पूछा और कहा कि किराया 7 की बजाय 10 को दे रहे हैं। इस पर मैंने पैसे देते हुए सॉरी कहा। तब अंकल कहने लगे कि दो-चार महीने का किराया एक साथ मंगा देते तो राहुल  इस बात पर तुरंत तैयार हो गया और आईने की तरफ ही लगातार घूरते हुए एड्रेस प्रूफ भी मंगवा देने की बात कही। फिर मैं उसे खींचकर बाहर ले आया। इस पर राहुल ने कहा कि मैं उसे बेकार ही खींचकर बाहर ले आया जबकि काम बनने ही वाला था। फिर उसने मुझे बटुक का नेट बैंकिंग आईडी और पासवर्ड बताया। मुझे विश्वास नहीं हुआ तो उसने मुझे कहा कि वह मेरा भी पासवर्ड जानता है और बता भी दिया। उसने कहा कि ईमेल से ओटीपी के लिए उसका भी पासवर्ड वह देखने ही वाला था पर मैं उसे पहले ही वहाँ से ले आया। पैसे वह पालिका बाज़ार में एक हवाले वाले को ट्रांसफर कर देगा जो कुछ कमीशन काटकर पैसे दे देगा।

भेद जिया के खोले ना

अब वह नेट पर झारखंड के एड्रेस प्रूफ की कॉपी खोजने लगा जो जल्द ही उसे मिल गई। फोटोशॉप पर नाम बदलकर बटुक को मेल कर दिया। छोटू खाली कप लेने के लिए वहीं खड़ा था और कुछ कहना चाह रहा था। मैंने पूछा तो कहने लगा कि वह भी कंप्यूटर चलाना सीखना चाहता है तो राहुल ने उसे पहले अच्छी चाय बनाना सीखने को कहा पर बाद में मैंने उसे कह दिया कि मैं सिखा दूंगा तो वह खुश हो गया।

अब हम वापस बटुक के घर पर गए इस बार वह सोफे पर बैठकर काम कर रहा था। हमें देखते ही कहने लगे कि फ्रीज़  से पानी की बोतल दे दो पर राहुल ने कहा कि हम पानी लेने नहीं आये हैं बल्कि ये बताने आये हैं कि आपको एड्रेस प्रूफ मेल कर दिया आप चेक कर लीजिए। तब बटुक ने हमसे रुकने को कहा और मेल चेक करने लगा । राहुल उनकी उंगलियों की हरकत देखने लगा। बटुक ने चेक करने के बाद कहा कि मेल आ गई है अब वह पुलिस वेरिफिकेशन करवाएंगे और हमसे पानी बोतल ले जाने को कहा। इस तरह टाइपिंग सीखे राहुल ने बटुक के ईमेल का भी पासवर्ड जान लिया और दो महीने के किराए का इंतजाम कर लिया।

चुनिंदा पंक्तियाँ :

# बाल इतने सीधे मानो इस्त्री किये हों। कपड़े इतने बरहम मानो घर में इस्त्री ही न हो। चेहरा इतना गोल मानो नाक के केंद्र से त्रिज्या ली गई हो। चेहरे पर भाव इतने तिरछे मानो किसी बेशऊर ने कूची पकड़ी हो। होंठ इतने भरे हुए की थिरकन तक महसूस हो जाए और आँखे इतनी खाली कि सागर समा जाए।

# ‘पापा ने भी घर का नाम ‘राधा निवास’ रख दिया। सारे बिहारी ही चले आते हैं।’

# ‘छोटू , ये झारखंड भी तो बिहार से बना है ना। सोच जरा! वो कैसे होंगे जिन्हें बिहारियों ने भी बाहर कर दिया।’

# छत पर बैठकर मेरे साथ शतरंज खेलता राहुल , दूर खड़ी परिधि की आँखों के इशारे से चालें चलने लगा। पौधों में पानी तो परिधि डालती पर बाल्टी राहुल खिसकाता। घर को ठंडा रखने के लिए पाइप से पानी तो परिधि डालती पर कोनों तक पानी पहुँचाने का हुनर राहुल सीखाता।

# इतनी बेइज्जती कम थी क्या, साले! लड़की ऐसे ताड़ रहे थे जैसे आज ही तिलक चढ़वा लोगे।

# ऐसा है झाड़ी कि जब आप लूडो में 98 का साँप देखते हैं ना तब हम 21 की सीढ़ी देखते हैं।

# ‘हुई मुद्दत की ग़ालिब मर गया पर याद आता है।

    वो हर एक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।’

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