भीष्म साहनी : हानूश ( भाग 2 ) | DREAMING WHEELS
हानूश घड़ी बनाने में लगा हुआ है। बूढ़ा लोहार भी उसके साथ है जो नई-नई कमानियां बनाकर उसे देता है। वे दोनों घड़ी के लगातार चलने व पेंडुलम के हर घण्टे बजने के लिए कमानियों में बदलाव पर चर्चा कर रहे हैं। कुछ समय घड़ी पर काम करने पर घड़ी चलने लगती है। बूढ़ा लोहार कमानी के लिए नया तार लेने चला जाता है। तब यान्का अपने पिता से घड़ी के बन जाने की बात पूछती है। हानूश कहता है कि इस तरह तो बीसियों बार चल चुकी है पर कुछ देर बाद बन्द हो जाती है। इसी बीच घड़ी फिर बन्द हो जाती है।
पादरी हानूश के पास आते हैं और उसे माली इमदाद की दरख्वास्त के नामंजूर होने की बात बताते हैं। हानूश यह सुनकर परेशान हो जाता है। पादरी उसे समझाते हैं कि आदमी का मन शांत व स्थिर होना चाहिए। वे उसे कात्या की स्थिति और घर के खराब हालात के बारे में बताते हुए अपने पुराने ताले बनाने के काम पर ध्यान देने को कहते हैं।
पादरी उसे दुनियादारी के साथ उसका अपने परिवार के प्रति फ़र्ज भी याद दिलाते हैं जिससे हानूश घड़ी बनाने के काम को छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है पर दिल से बहुत दुखी है क्योंकि उसने अपने जीवन के तेरह वर्ष घड़ी बनाने के लिए दिए हैं। तभी बूढ़ा लोहार पीतल की तार लेकर आता है और घड़ी में लगाने को कहता है पर हानूश बूत बना खड़ा रहता है। पादरी हानूश को एक-दो दिन में मिलने का कहकर चले जाते हैं।
हानूश लोहार से कहता है कि अब मेरा इस घड़ी से कोई लेना-देना नहीं है पर लोहार बड़े ही दार्शनिक अंदाज में कहता है कि तेरह सालों से हर तीसरे-चौथे महीने यह ऐसा सुन चुका है पर हानूश घड़ी बनाना नहीं छोड़ सकता। उसे माली इमदाद के लिए दूसरी जगह दरख्वास्त डालनी चाहिए। बूढ़े लोहार को यकीन है कि हानूश एक दिन घड़ी बनाने में जरूर कामयाब होगा। लोहार उसे नगरपालिका वालों से माली इमदाद मांगने की सलाह देता है। साथ ही उसे अपनी कमजोरियों के बावजूद बेधड़क काम जारी रखने को भी कहता हैं।
तभी हानूश का मित्र एमिल वहाँ आता है। वह बताता है कि कोई आदमी किसी पादरी के घर के पिछवाड़े से सुअर उठाकर भाग गया है। बूढ़ा लोहार इसे चोरी नहीं बल्कि सवाब का काम कहता है पर कात्या इसे विधर्मियों का लोगों को पादरियों के खिलाफ भड़काना मानती है। उसे लगता है कि हानूश व एमिल भी पादरियों का मजाक बनाते हैं। एक तरफ तो उनसे वजीफा माँगते हैं और दूसरी तरफ बुरा-भला कहते हैं।
यान्का एमिल को रोते हुए बताती है कि बापू अब घड़ी नहीं बनाएंगे। गिरजे वालों ने वजीफ़ा देना बंद कर दिया है। कात्या कहती है कि हो सकता है गिरजे वालों को मालूम हो गया हो कि तुम लोग पादरियों की निंदा करते हो। इस पर एमिल कहता है कि वे पादरियों की बुराई नहीं करते बल्कि गिरिजाघरों में होने वाले भ्रष्टाचार की बुराई करते हैं। तभी घड़ी की टिक-टिक सुनाई देती है। हानूश फिर से घड़ी पर काम कर रहा है।
तभी बाहर किसी के भागने की आवाज़ आती है। अचानक दरवाज़ा खुलता है और 22-23 साल का फटेहाल लेकिन आकर्षक युवक जेकब अंदर आता है। एमिल के पूछने पर वह बताता है कि तीन साल पहले उसने पादरी के घर से सुअर चुराया था और उसे इसकी सजा भी मिल चुकी है। आज वह काम की तलाश में लोहार की दुकान पर गया था तो उसके कारिंदों ने उसे यहाँ भेज दिया। पहले वह घोड़ों के एड़ लगाता था और घोडेगाड़ियों की मरम्मत भी करता था।
हानूश के उससे कमानी के बारे में पूछने पर वह कहता है कि कमानी तो ऐसी होनी चाहिऐ जो बोझ को बर्दाश्त करने पर लचक जाए, मगर टूटे नहीं। जैकब हानूश से कहता है कि वह उसे अपने घर में रख ले। वह उनके साथ काम करेगा। तब कात्या उसे रखने को राजी हो जाती है और हानूश से कहती है कि तुम इसे ताले बनाना सीखा दो। ये ताले बना दिया करेगा और मैं बेच आया करुँगी। मैं जानती हूँ कि तुम घड़ी बनाना नहीं छोड़ोगे। मैं ताले बनाने का काम भी तुम पर नहीं डालना चाहती। तुम्हारे जो मन में आए करो। घर की जिम्मेदारियां मैं संभाल लूँगी। तुम वजीफ़े का इंतजाम करो।
चार साल बाद यानी सत्रह सालों बाद हानूश की घड़ी बन चुकी है और नगरपालिका वाले इस घड़ी को कहाँ लगाया जाए इस पर चर्चा कर रहे हैं।
दस्तकारी संगठनों के चार सदस्य नगरपालिका के हॉल में बैठे हैं। हुसाक उस कमरे की गोलाकार खिड़की की जाँच करता है और कहता है कि यही, खिड़की वाली जगह ठीक रहेगी। एक तो यह कोने में है और दूसरे बाहर की तरफ मैदान में खुलती है जिससे मैदान में टहलने वालों के साथ ही दांई सड़क पर चलने वाले लोग भी इसे देख सकते हैं। इसलिए घड़ी यहीं पर लगाई जानी चाहिए। पर जॉन को लगता है कि पहले बादशाह सलामत की मंजूरी जरूरी है।
बादशाह लाट पादरी के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं।
हुसाक बताता है कि एक महीने के बाद बादशाह यहाँ आने वाले हैं। शेवचेक कहता है कि आजकल सामन्तों की लाट पादरी के साथ साँठ-गाँठ फिर से शुरू हो गई है।अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये हम सौदागरों को कहीं का नहीं छोड़ेंगे। इसलिए हमें बादशाह का स्वागत नगरपालिका पर घड़ी लगाकर करना चाहिए। साथ ही हमें दरबार में भी नुमाइंदगी मिलनी चाहिये। जॉन को लगता है कि बादशाह इंसाफ को नहीं बल्कि ताकत को देखता है।
तभी टाबर खबर लाता है कि घड़ी बड़े गिरजे पर लगाई जाएगी। यह सुनकर सभी चौंक जाते हैं। सभी कहने लगते हैं कि जब हानूश को घड़ी बनाने के लिए वजीफ़ा नगरपालिका ने दिया था तो घड़ी भी यहीं लगनी चाहिए। हानूश भी यही चाहता है। नगरपालिका पर घड़ी लगने से सारी रियासत को इससे फायदा होगा। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो हम हानूश को साथ लेकर एक जमात बना लेंगे और उससे नई घड़ियां बनवाएंगे और उन्हें बेचकर पैसे कमाएंगे। साथ ही जॉर्ज हानूश की बेटी की शादी टाबर के बेटे से कराने की भी सलाह देता है।
चुनिंदा पंक्तियाँ :
# यह फिकरा भी मैं सौ बार सुन चुका हूँ। सुन हानूश, तू यह काम छोड़ नहीं सकता। यह झिक-झिक भी सदा चलती रहेगी। सोमवार को कहोगे – घड़ी बनाना छोड़ दिया, मंगल को भागे-भागे मेरे पास आओगे – कमानी में कितना लोहा, कितना पीतल लगेगा।
# बादशाह की इसी में तो बादशाहत होती है। उसके हाथ में भगवान ने तराजू दे रखा है। जो भी पलड़ा भारी होता है, राजा दूसरे पलड़े का वजन बढ़ाकर फिर से एक जैसा कर लेता है। यही नीति है।
# अगर लाट पादरी ने बादशाह सलामत से पूछा भी तो वह उसकी बात टालेंगे थोड़े ही। वह तो अपना मुँह खोलने से पहले लाट पादरी के मुहँ की ओर देखते हैं।
# तुम्हीं तो कहते हो कि व्यापारी को दूर की सोचनी चाहिए। मैं तो आज से दो सौ साल बाद कि भी सोच सकता हूँ। तब न गिरजे होंगे , न राजे होंगे। चारों ओर व्यापारी ही व्यापारी होंगे। तब सभी की बेटियाँ व्यापारियों से ब्याही जा चुकी होंगी। हर बात में व्यापारियों, पैसेवालों की चलेगी।
हानूश की बनाई घड़ी किस जगह पर चार चाँद लगाती है और बादशाह उसे इनाम में क्या देते हैं यह जानने के लिए पढ़ें इसका अगला भाग 3।
अगर आपने भाग 1 नहीं पढ़ा है तो आप उसे इस लिंक में क्लिक करके पढ़ सकते हैं👇