भीष्म साहनी : हानूश (भाग 3) | हानूश नाटक

भीष्म साहनी हानूश ( भाग 3 ) DREAMING WHEELS

भीष्म साहनी : हानूश (भाग 3) | DREAMING WHEELS

यान्का खिड़की से बाहर देख रही है। जेकब दबे पाँव चलता हुआ उसके पास आता है और उसकी आँखें बंद कर देता है। यान्का समझ जाती है और कहती है कि कौन होगा ? जेकब ही तो है। गली से लोग देख रहे हैं। माँ देख लेंगी तो डाटेंगी। जेकब कहता है कि आज माँ कुछ नहीं कहेंगी। यान्का कहती है कि आज तो माँ सुबह से ही कभी हँसती है कभी रोती है। आज गली में कितनी रौनक है। सभी लोग बापू की घड़ी देखने जा रहे हैं। लोग खिड़की से फूल व गुलदस्ते फेंक रहे हैं।

यान्का उसे चिढ़ाने के लिए कहती है कि अब तो तुम भी घड़ीसाज बन गए। पर तुमने किया ही क्या है? बापू जो कहते वही तुम करते। इसे घड़ी बनाना थोड़े ही कहते हैं? इस पर जेकब कहता है कि मैं घड़ी का एक-एक पुर्जा जानता हूँ। यान्का भी बड़े गर्व से कहती है कि यह घड़ी बापू ने मेरे लिए बनाई है। वह जेकब से पूछती है कि क्या घड़ी हमेशा चलती रहेगी ? तो जेकब कहता है कि और क्या! अब से शहर के सारे काम इस घड़ी की आवाज़ के साथ बंध जाएंगे। तभी गली से लोगों की आवाजें आती हैं। लोग हानूश के लिए गुलदस्ते फेंक रहे हैं और उसे दुआएं भी दे रहे हैं।

 

पीछे के दरवाजे से हानूश और कात्या आ रहे हैं। वे दोनों ही  थके हुए अधेड़ उम्र के दिखाई दे रहे हैं। आज नगर पालिका में बादशाह आने वाले हैं और हानूश भी उनसे मिलने वाला है इसलिए उसने हुसाक से चुगा माँगकर पहना है। हानूश जेकब से पूछता है कि क्या घड़ी के पीछे की दीवार पूरी -की-पूरी चुन दी गई है? जेकब कहता है कि जी, चुन दी गई है और ताला भी लगा दिया गया है। मैं औज़ारों का बक्सा लेकर वहीं जा रहा हूँ। और वह जाने लगता है। हानूश कहता है कि हममें से एक का वहां रहना जरूरी है। फिर हंसते हुए कहता है कि माँगे हुए कपड़ों को बहुत ठीक करना पड़ता है। फिर आईने में खुद को देखकर कहता है कि बढ़िया कपड़ों की भी अपनी ही शान है। ऐसे कपड़े पहनकर गली में चलना तो हिमाकत है। अब पता चला दरबारी लोग घोड़ेगाड़ियों में क्यों बैठते हैं। कात्या यान्का से हानूश के लिए पादरी चाचा से जूते माँगकर लाने को कहती है।

इधर हानूश और कात्या इतने सालों की एक-दूसरे की मेहनत और कुर्बानी को याद कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर शहर के लोग हानूश की बनाई घड़ी की तारीफ कर रहे हैं। कुल्फ़साजों ने उनके घर बीयर का कनस्तर भी भेजा है। बहुत से लोग उससे मिलने व बधाई देने घर भी आ रहे हैं।
कात्या कहती है कि अब हमें यान्का की शादी कर देनी चाहिए। इस पर हानूश कहता है कि उसे जेकब पसन्द है और वह जानता है कि यान्का भी उसे पसन्द करती है। पर कात्या को लगता है कि वह भी घड़ी बनाने में लगा रहेगा और उसकी बेटी की हालत भी उसके जैसी हो जाएगी। हानूश उसे समझाता है कि उसे जिस घड़ी को बनाने में सत्रह साल लगे अब वह दो-तीन महीनों में ही बन सकती है। अहम बात घड़ी का भेद जानना है।

तभी वहां एमिल आता है। वह हानूश से उसकी तैयारी के बारे में पूछता है। हानूश उसे कहता है कि उसे दरबार के कायदे नहीं मालूम इसलिए घबराहट हो रही है। एमिल उसे समझाता है कि जैसा सब करें तुम भी वैसा ही करना। घड़ी के बारे में जो पूछें बता देना। साथ ही उनकी तारीफ करना व कहना कि यह घड़ी राज्य की शोभा बढ़ाने के लिए ही बनाई है। तुम नगरपालिका और गिरजे दोनों में से किसी के भी हक़ में कुछ मत कहना।

तभी वहां हानूश का पादरी भाई आता है और उसे घड़ी के लिए बधाई देता है। कात्या को आने वाले मेहमानों की खातिरदारी के लिए कुछ पैसे भी देता है और बताता है कि इस घड़ी की वजह से पादरियों के बीच झगड़े हो रहे हैं। अगर यह घड़ी नहीं होती हमेशा की तरह लोग आज भी गिरजे में होते। तभी बाहर से घोडा के टापों की आवाज़ आती है। यान्का कहती है कि एक घोड़ागाड़ी आ रही है। नगरपालिका वालों ने बापू के लिए भेजी है। इस पर पादरी कहता है कि नगरपालिका वालों के हौसले बहुत बढ़ गए हैं। तुम्हारी मदद करके वे खुद को घड़ी का मालिक समझने लगे हैं। बिना किसी से पूछे उन्होंने नगरपालिका पर घड़ी लगा दी व आगे के लिए भी सौदे कर रहे हैं।

तभी एक अधिकारी अंदर आते हैं और हानूश के बारे में पूछते हैं। हानूश उन्हें अपना परिचय देता है। अधिकारी उसे मुबारकबाद देते हुए कहते हैं और कि अगर बादशाह सलामत की नज़र हुई तो तुम्हारी मुफ़लिसी खत्म हो जाएगी। फिर हानूश उनके साथ चला जाता है।

इधर नगरपालिका में बादशाह के आने की तैयारियाँ हो रही हैं। हुसाक और अन्य सदस्य बादशाह से अपनी ज्यादा से ज्यादा माँगे मंजूर कराना चाहते हैं। हुसाक को लगता है कि अगर ठीक ढंग से काम किया जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं है।वह चाहता है कि शहर में दाख़िले की चुंगी बढ़ा दी जाए। वह सभी को समझाता है कि बादशाह के आने पर किसे क्या करना है, कौन कहाँ खड़ा होगा, कौन कब दरख्वास्त पेश करेगा। उसने कहा कि सबसे पहले वह बादशाह का स्वागत करेगा। फिर टाबर महसूल चुंगी का मसला और उसके बाद शेवचेक दरबार में दस्तकारों की नुमाइंदगी की दरख्वास्त पेश करेगा। आखिर में हानूश को मिलाया जाएगा।

चुनिंदा पंक्तियाँ:

# इस घड़ी से नगर का काम बंध जाएगा। सुबह के वक्त जब घड़ी बजेगी तो नगर के रास्ते खोल दिये जायेंगे, घड़ी बजेगी तो पुल पर के संतरियों को खबर मिल जाएगी और वे पुल को खोल देंगे। घड़ी की आवाज़ सुनकर लोग गिरजे में जाया करेंगे, और जब शाम होगी और घड़ी चौदह बजाएगी तो जेकब घड़ी के नीचे खड़ा यान्का की राह देखा करेगा।

# और क्या! मुझे तो हमेशा बाद में ही सूझता है कि क्या कहना चाहिए था। उस वक्त तो सूझता ही नहीं। हाजिरजवाबी भी बहुत बड़ा गुण है।

# कात्या, तीन बार तो तुम घड़ी की कमानियाँ तोड़ चुकी हो, दो बार सारा सामान खिड़की से बाहर फ़ेक चुकी हो, कुछ नहीं तो छः बार मुझे पीट चुकी हो। फिर भी कहती हो कि आज तुम्हारी प्रार्थना कबूल हुई है?

बादशाह घड़ी को देखकर कितना खुश होंगे और हानूश को क्या इनाम देंगे ? जानने के लिए पढ़ें इसका अगला भाग (4)

अगर आपने भाग 1 और 2 नहीं पढ़ा है तो आप उसे इस लिंक में क्लिक करके पढ़ सकते हैं👇

भीष्म साहनी : हानूश (भाग 1) | DREAMING WHEELS

भीष्म साहनी : हानूश ( भाग 2 ) | DREAMING WHEELS

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