भीष्म साहनी : हानूश (भाग 4) | हानूश नाटक

भीष्म साहनी हानूश (भाग 4) DREAMING WHEELS

भीष्म साहनी : हानूश (भाग 4) | DREAMING WHEELS

बादशाह आ गए हैं। साथ में मंत्री, लाट पादरी और अंगरक्षक हैं। आते ही वह पूछते हैं कि यह घड़ी किसने बनाई है? , हानूश आगे बढ़कर आदाब बजा लाता है और ‘हुजूर’ कहता है। हुसाक बताता है कि यह हानूश नाम का कुल्फ़साज है। बादशाह उससे कहते हैं कि तुम्हारी घड़ी बजती क्यों नहीं? हम बहुत देर तक नीचे खड़े होकर इसके बजने का इंतजार कर रहे थे। हानूश कहता है कि यह अपने वक़्त पर बजेगी। बादशाह ने फिर पूछा ‘कहाँ के रहने वाले हो?’ हानूश ने कहा ‘आप ही का बन्दा हूँ।’ लाट पादरी कहते हैं कि हमारे गिरजे के एक पादरी का भाई है।

बादशाह हानूश से कहते हैं कि हम तुमसे बहुत खुश हैं। तुम बड़े होशियार हो। तुमने ये हुनर कहाँ से सीखा? हानूश कहता है कि मैंने बचपन में सुना था कि किसी देश में गिरजे पर एक घड़ी लगी है। वैसी ही घड़ी बनाने की इच्छा मेरे दिल में भी हुई। इसमें बहुत से लोगों ने मेरी मदद की। यूनिवर्सिटी के एक बड़े प्रोफेसर ने बहुत कुछ सिखाया, शहर के लोहारों ने सामान बना-बनाकर दिया, नगरपालिका वालों ने पांच सालों तक वजीफ़ा दिया, मेरे बड़े भाई ने पुश्तैनी घर मेरे नाम कर दिया।

इसके बाद बादशाह उससे कई सवाल करते हैं जैसे तुमने हमसे मदद क्यों नहीं माँगी, यह घड़ी ज़्यादा अच्छी है या उस देश वाली, तुम्हें कितने दिन लग गए इसे बनाने में, तुम घड़ी छिपकर बनाते रहे और हमें पता भी नहीं चला, दूसरी घड़ी कितनी देर में बनेगी, क्या वो इससे बेहतर होगी?  हानूश सभी सवालों के सही-सही जवाब देता है।

फिर बादशाह हुसाक से पूछते हैं कि अगर दूसरी घड़ी बनी तो कहाँ लगेगी? हुसाक कहता है कि आप जहाँ कहेंगे वहीं लगेगी। तब बादशाह कहते हैं कि इसे लगाते हुए तो हमसे नहीं पूछा था। तब हुसाक कहता है कि यह तो आपके स्वागत के लिए लगाई गई थी। आप की जहाँ ख्वाहिश होगी वहीं इसे लगा दिया जाएगा। तब बादशाह कहते हैं कि हमें घड़ी का यहाँ लगना मंजूर है क्योंकि सैकड़ों लोग रोज यहाँ आते हैं। फिर टाबर और शेवचेक अपनी – अपनी दरख्वास्त बादशाह के सामने रखते हैं जिसे वे लगभग मंजूर कर लेते हैं।

साथ ही हानूश से खुश होकर बादशाह ऐलान करते हैं कि इसे एक हजार सोने की मोहरें दी जाएं। इसका महीना बांध दो और यह घड़ी की देखभाल भी करे। आज से यह एक दरबारी की तरह हमारे दरबार में बैठेगा।

फिर हुसाक बादशाह से ऐसी और घड़ियां बनाने की इजाज़त लेना चाहता है जो दूसरे देशों को भी बेची जाएंगी। यह बात बादशाह को बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती। उन्हें लगता है कि अगर ऐसी और घड़ियाँ बना-बनाकर नगरपालिका के फायदे के लिए पूरी दुनिया में बेच दी जाएं तो हमारी घड़ी को देखने कौन आएगा?

बादशाह हानूश से कहते हैं कि तुमने झूठ बोला है कि यह घड़ी तुमने हमारे देश की शान बढ़ाने के लिए बनाई है। इस पर हानूश कहता है कि मुझे तो दूसरी घड़ी बनाने का कभी ख्याल तक नहीं आया। पर बादशाह कहते हैं कि तुम्हें नहीं पर तुम्हारे सरपरस्तों को तो जरूर आया होगा। बादशाह हुसाक की ओर देखकर कहते हैं कि अगर यह घड़ी हमारी राजधानी की शान बढ़ाने के लिए बनाई गई है तो दूसरी घड़ी बनाने का मतलब? इस आदमी को अबसे और घड़ियां बनाने की इजाज़त नहीं है। अगर यह हमसे छिपकर और घड़ियां बनाता है तो इसे कड़ी सज़ा दी जाएगी।

हानूश कहता है कि मेरा और घड़ियाँ बनाने का कोई इरादा नहीं है पर बादशाह उससे कहते हैं कि उन्हें उसपर भरोसा नहीं है। जो आदमी हमसे इजाज़त लिए बिना  इतने सालों तक छिपकर घड़ी बना सकता है वह छिपकर आगे भी घड़ी बना सकता है। इस हुक्म को मनवाने के लिए हानूश कुल्फ़साज की दोनों आँखे निकाल दी जाएं। उसकी आंखें नहीं होंगी तो वह घड़ियाँ भी नहीं बना सकेगा।

हानूश यह सुनकर घबरा जाता है। वह बादशाह के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लगता है पर बादशाह पर इसका कोई असर नहीं होता। वहाँ मौजूद सभी लोग इस हुक्म को सुनकर सकते में आ जाते हैं। हुसाक भी आँखें ना निकलवाने की गुजारिश करता है पर बादशाह अपना फैसला नहीं बदलते। तभी घड़ी बजती है। बादशाह उसकी आवाज़ सुनकर मंत्रमुग्ध से खड़े रह जाते हैं और कहते हैं कि ऐसी नायाब घड़ी तो मुल्क में एक ही रहनी चाहिए।

  चुनिंदा पंक्तियाँ :

#  जॉर्ज , याद रहे, महाराज के सामने मेरे कान में कुछ मत फुसफुसाना। यह तुम्हारी बहुत बुरी आदत है। बात दो कौड़ी की करते हो और कान आकर यों फुसफुसाते हो, जैसे कहीं बग़ावत हो गई हो! तुम जैसे लोगों को तो आज बुलाना ही नहीं चाहिए था। अब इधर शोर नहीँ हो। और फिर से एक बार समझ लो – कोई खाँसे नहीं, खंखारे नहीं, जम्भाई नहीं ले, छींक नहीं मारे, अदब-क़ायदे से अपनी जगह पर खड़े रहे। कोई किसी से फुसफुसाकर बात नहीं करे।

# यह बादशाह की तौहीन है कि एक घड़ी उसके कदमों पर रखी जाए और वैसी ही बल्कि उससे भी बेहतर घड़ी किसी सौदागर के हाथ बेच दी जाए।

# पहले हमने सोचा, इसके हाथ कटवा दें, लेकिन आँखें मौजूद हों तो हाथों के बिना भी घड़ी बन सकती है। पर आँखें निकल जाने से घड़ी बनाना मुश्किल होगा। ………… इसे ले जाओ। याद रहे कि हानूश अब राजदरबारी है। पूरे अदब-कायदे से इसके साथ बर्ताव किया जाए।  

बादशाह के इस इनाम के बाद हानूश कैसे जिंदा रहेगा? वह फिर कभी घड़ी बना पाएगा या नहीं और घड़ी का भेद कोई जान पायेगा  या नहीं? जानने के लिए पढ़िए इसका अगला और अंतिम भाग (5).

अगर आपने भाग 1, 2 और 3 नहीं पढ़ा है तो आप उसे इस लिंक में क्लिक करके पढ़ सकते हैं👇

भीष्म साहनी : हानूश (भाग 1) | DREAMING WHEELS

भीष्म साहनी : हानूश ( भाग 2 ) | DREAMING WHEELS

भीष्म साहनी : हानूश (भाग 3) | DREAMING WHEELS

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