शिवानी – करिए छिमा सारांश (भाग 2) | Kariye Chimma 2

शिवानी करिए छिमा सारांश

शिवानी जी अपने लेखन में संस्कृतनिष्ठ हिंदी शब्दों का प्रयोग करती हैं। इस कारण उनकी रचनाओं में प्रत्येक पंक्ति में पद-विन्यास देखते ही बनता है। उनकी लिखी हरेक पंक्ति कानों में काव्य-सी झंकृत होती है जिसे अलंकार और रस से सजाया गया है। ‘करिए छिमा’ पढ़ते हुए पाठक इसे स्वयं अनुभव कर सकते हैं। अनपढ़ हीरावती अपने प्रेमी को बचाने […]

Continue Reading

शिवानी –  करिए छिमा सारांश  (भाग 1) | Kariye Chimma

शिवानी करिए छिमा सारांश

शिवानी जी हिंदी सहित्य की एक महान रचनाकार होने के साथ  शब्दों की जादूगर भी हैं जिनकी लिखी हर एक पंक्ति में जादू है। उनके शब्दों का चुनाव इतना अनोखा है कि मन पर गहरी छाप छोड़ता जाता है। उनकी लिखी ऐसी ही कहानी जो उनकी भी सबसे पसंदीदा कहानी है, मैं आपके लिए लेकर आई हूँ। यह कहानी पढ़ते […]

Continue Reading

अशोक पाण्डे : जितनी मिट्टी उतना सोना ( पुस्तक समीक्षा )

अशोक पाण्डे : जितनी मिट्टी उतना सोना ( पुस्तक समीक्षा )

अशोक पाण्डे : जितनी मिट्टी उतना सोना ( पुस्तक समीक्षा ) पुस्तक – जितनी मिट्टी उतना सोना लेखक – अशोक पाण्डे प्रकाशक – हिंद युग्म विधा – यात्रा वृत्तांत अशोक पाण्डे और आस्ट्रिया निवासी मानवशास्त्री डॉक्टर सबीने लीडर ने लगभग चार साल तिब्बती सीमा से लगे व्याँस , चौंदास, दारमा और जोहार घाटियों के गाँवों में बिताए थे और यहाँ […]

Continue Reading

द हिडन हिन्दू – पुस्तक समीक्षा

द हिडन हिन्दू - पुस्तक समीक्षा

द हिडन हिन्दू – पुस्तक समीक्षा पुस्तक – द हिडन हिन्दू लेखक – अक्षत गुप्ता प्रकाशक – प्रभात प्रकाशन द हिडन हिन्दू अक्षत गुप्ता जी द्वारा लिखित तीन किताबों की श्रृंखला है। इसमें अक्षत जी ने हिन्दू पौराणिक मान्यताओं एवम कथाओं के साथ नई तकनीक को मिलाकर एक ऐसी महागाथा तैयार की है जो पाठक को रोमांचक यात्रा पर ले […]

Continue Reading

दिव्य प्रकाश दुबे – अक्टूबर जंक्शन (पुस्तक समीक्षा)

दिव्य प्रकाश दुबे - अक्टूबर जंक्शन (पुस्तक समीक्षा)

दिव्य प्रकाश दुबे – अक्टूबर जंक्शन (पुस्तक समीक्षा) लेखक परिचय दिव्य प्रकाश दुबे जी हिंदी के लेखक हैं जिनकी शैली उन्हें हिंदी साहित्य के जाने-माने लेखकों से अलग पहचान बनाने में सहायक सिध्द होती है। इनका जन्म 8 मई 1982 को लखनऊ में हुआ था। इन्होंने कम्प्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग के साथ एम. बी.ए. भी किया है। इन्होंने कहानियाँ लिखना […]

Continue Reading

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा (सारांश-भाग 9)

भगवतीचरण वर्मा चित्रलेखा सारांश भाग 2

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा (सारांश-भाग 9) भगवती जी ने उपन्यास का नाम चित्रलेखा रखा क्योंकि पूरा कथानक ही इस चरित्र के आसपास चलता है और अंत तक ऊँचाई प्राप्त करने में सफल होता है पर बीजगुप्त इस कथा का वो पात्र है जिसका व्यक्तित्व कभी भी पतन की ओर जाता नहीं दिखाई देता बल्कि अपने साथ दूसरों की गरिमा में भी […]

Continue Reading

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 8)

भगवतीचरण वर्मा चित्रलेखा सारांश भाग 2

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 8)   भगवती जी ने इस उपन्यास में स्त्री-पुरूष सम्बन्धों का जिस गहराई से वर्णन किया है वह चिंतन करने योग्य है। जहाँ हम सात जन्मों की बात करते हैं वहीं भगवती जी मनुष्य को किसी एक व्यक्ति से न बांधकर हमेशा अपने कर्म की ओर अग्रसर रहने की सीख देते दिखाई देते हैं। उन्नीसवाँ […]

Continue Reading

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 6)

भगवतीचरण वर्मा चित्रलेखा सारांश भाग 2

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 6)   भगवती जी  ने इस उपन्यास में चित्रलेखा और यशोधरा की तुलना इस तरह से की है जिससे हमें उनकी सुंदरता के साथ उनकी चारित्रिक विशेषताओं का भी भान हो जाता है।  बीजगुप्त के चरित्र की ऊंचाई उपन्यास के विकास के साथ बढ़ती जाती है।   तेरहवाँ परिच्छेद यशोधरा की सुंदरता नैसर्गिक थी फिर भी […]

Continue Reading

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 5)

भगवतीचरण वर्मा चित्रलेखा सारांश भाग 2

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 5) भगवती जी ने इन भागों में चित्रलेखा के चरित्र के उस भाग का वर्णन बड़ी ही गहराई से किया है जहाँ अपने साध्य को पूरा करने के लिए बीजगुप्त के लिए त्याग का दिखावा करती है।                          दसवाँ परिच्छेद भोजन के बाद मृत्युंजय के भवन में, बीजगुप्त,चित्रलेखा, श्वेतांक, कुमारगिरि और विशालदेव हैं। तब मृत्युंजय […]

Continue Reading

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा ( सारांश-भाग 4)

भगवतीचरण वर्मा चित्रलेखा सारांश भाग 2

भगवतीचरण वर्मा: चित्रलेखा (सारांश-भाग 4) भगवतीचरण जी के ज्ञान की थाह को इंगित करता चित्रलेखा उपन्यास जहाँ एक ओर हमारे सामने प्रेम और आत्मा के सम्बन्ध को स्थापित करता दिखाई देता है वहीं दूसरी ओर मनुष्य की निर्बलता का भी सुन्दर वर्णन करता है । सातवाँ परिच्छेद सभा से लौटते हुए बीजगुप्त और श्वेतांक बातें कर रहे हैं। बीजगुप्त श्वेतांक […]

Continue Reading